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हिंदी दिवस : मातृभाषा हिंदी भारत को पुनः विश्वगुरू पद पर ला सकती

-14 सितम्बर हिंदी दिवस पर विशेष

-डॉ एलसी अनुरागी

महोबा। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कहते थे कि राष्ट्रीय व्यवहार मे हिंदी को काम मे लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है। आचार्य विनोवा भावे भी करते थे कि मै दुनिया सब भाषाओं की इज्जत करता हूॅ, पर मेरे देश मे हिंदी की इज्जत न हो यह मै नही सह सकता। वास्तव मे राष्ट्र भाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है। वाल्टर कैनिंग ने कहा था कि विदेशी भाषा का किसी भी स्वतंत्र राष्ट्र की राज- काज और शिक्षा की भाषा होना सांस्कृतिक दासता है। 14 सितम्बर 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के खण्ड 1 मे कहा गया है कि भारत संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी। भारत के संविधान मे देश की 22 भाषाओ को मान्यता दी गई है। हिंदी पूरे देश के लिए सम्पर्क भाषा है। आज हिंदी भारत के अलावा विदेशों, मारीशस, फिजी, श्रीलंका आदि देशो मे भी बोली जाती है। 14 सितम्बर को भारत मे हिंदी दिवस मनाया जाता है। 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। यदि भारत को विश्व गुरू के पद पर पुनः प्रतिष्ठित होना है तो हमे अपनी मातृभाषा का समुचित सम्मान करना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट मे भी हिंदी भाषा मे निर्णय दिए जाना चाहिए। देश मे हिंदी का मान विश्व स्तर तक बढ़ाने मे सुप्रीम कोर्ट याचिकाएं हिंदी मे स्वीकार कर व निर्णय भी हिंदी मे सुनाकर भारत को विश्वगुरू पद पर पुनः पहुॅचा सकता है। दूसरी ओर भाषा की गरिमा नष्ट होने से उस स्थान की सभ्यता और संस्कृति पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

हिंदी ही एकमात्र ऐसी भाषा है जो देशवासियों को एकता के सूत्र मे बाॅध सकती है। हिंदी की प्रगति हेतु भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की पंक्तियाॅ आज भी युवाओं व देशवासियो के लिए प्रेरणास्त्रोत है। निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल। बिनु निज भाषा ज्ञान के मिटत न हिय को शूल। अग्रेजी पढ़ि- पढ़ि भये केते लोग प्रदीन, पै निज भाषा ज्ञान के रहे हीन के हीन। देश मे हिंदी के सम्मान के लिए राष्ट्रीय व अन्र्तराष्ट्रीय सेमिनार। हिंदी मे आयोजित कराये जाने चाहिए। हिंदी के लेखको, कवियो, साहित्यकारो को तहसील स्तर से राष्ट्रीय व अन्र्तराष्ट्रीय स्तर तक सम्मान, पुरस्कार देकर, हिंदी को आगे बढ़ाना चाहिए।  

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