महोबा
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ट्रिपल मर्डर केस : मैं इस जालिम समाज में अपनी पुत्रियों को किसी के आश्रित नहीं छोड़ना चाहता था, इसलिए मैनें पत्नी और पुत्रियों की थी हत्या  

  • रेलवे लाइन पर आत्महत्या करने पहुॅचा था हत्यारा, पुलिस ने पकड़ा 

अत्याधिक मंहगाई बढ़ने और मेरा व्यापार न चलने से मेरा परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा था 

महोबा। पत्नी तथा पुत्रियों को मौत के घाट उतारने वाला हत्यारोपी देवेन्द्र विश्वकर्मा को सदर कोतवाली पुलिस ने रेलवे स्टेशन के पास बने अंदर ग्राउण्ड ब्रिज से बंदी बनाकर जेल भेजा है। 

पुलिस अधीक्षक ने बताया कि 17 जुलाई 2023 को समय करीब रात्रि 8 बजे के लगभग देवेन्द्र विश्वकर्मा ने खाना को लेकर अपनी पत्नी श्रीमती रामकुमारी उम्र 30 वर्ष तथा कु0 आयुषी उम्र 9 वर्ष, कु0 सोनांक्षी उम्र 6 वर्ष की पत्थर से कुचलकर हत्या कर दी थी और हत्यारा फरार हो गया था।

     पुलिस अधीक्षक द्वारा गठित पुलिस टीमो ने तत्परता दिखाते हुए देवेन्द्र कुमार विश्वकर्मा को बंदी बना लिया था। जेल भेजने के पूर्व सदर कोतवाली पुलिस हत्या अभियुक्त देवेन्द्र विश्वकर्मा का चिकित्सीय परीक्षण कराये जाने के लिए जिला अस्पताल लेकर पहुॅची थी जिला चिकित्सालय मे डाॅक्टरी परीक्षण के दौरान पत्नी व पुत्रियो के हत्यारे देवेन्द्र विश्वकर्मा ने एक प्रश्न के उत्तर मे बताया कि बढ़ती हुई मंहगाई और फेली बेरोजगारी तथा व्यापार न चलने के कारण पत्नी तथा पुत्रियो की हत्या कर मै स्वंय आत्महत्या करने के लिए रेलवे स्टेशन पहुॅचा था। आत्महत्या करने से पूर्व पुलिस पकड़ लायी थी। पत्नी और बेटियो की हत्या की मुख्य बजह देवेन्द्र विश्वकर्मा ने बताया कि पिछले 10 वर्षो से मेरा व्यापार ठीकठाक चल रहा था यहाॅ 4- 5 वर्ष से अत्याधिक महंगाई बढ़ने से पत्नी और बच्चियो का भरण पोषण करना मुश्किल हो गया था। घरेलू खर्चो की पूर्ति न कर पाने पर पत्नी से तकरार होती रहती थी।

देवेन्द्र ने बताया कि जीवन यापन करने की कही से कोई उम्मीद न होने तथा इस जालिम समाज ने अपनी पुत्रियो और पत्नी को किसी दूसरे के आश्रित नही छोड़ना चाहता था। इसलिए उनकी हत्या करने के बाद मे स्वंय आत्महत्या करने के लिए रेलवे स्टेशन पहुॅचा था। पैसेंजर गाड़ी लेट होने और पुलिस द्वारा बंधक बनाये जाने से आत्महत्या नही कर सका हूॅ अब मेरा जीवन जेल की सलाखो के अंदर ही कटेगा इस बात को मै अच्छी तरह जानता हूॅ।

देवेन्द्र ने कहा कि पत्नी, और पुत्रियो के भरण पोषण न मुझे कोई अन्य रास्ता नही दिख रहा था, तमाम कोशिश करने के बाद भी मेरा व्यापार नही चल रहा था आये दिन मेरे परिवार को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा था। आर्थिक तंगी और बेरोजगारी के चलते ही मेरे द्वारा गलत कदम उठाया गया है जिसका मुझे अत्याधिक पछतावा है, अब मेरा जीवन जेल की सलाखो के पीछे ही कटेगा। 

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