महोबा सृजन दिवस : ऐतिहासिक धरा पर जश्न, विकास के संकल्प के साथ बंधी नई उम्मीदें

रिपोर्ट : शान मुहम्मद (शानू)
महोबा | उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक जनपद महोबा के 30वें स्थापना दिवस के अवसर पर शहरवासियों ने हर्षोल्लास के साथ उत्सव मनाया। 11 फरवरी 1995 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव द्वारा इसे स्वतंत्र जिला घोषित किया गया था, जिसके बाद से यह दिन महोबा के गौरवशाली अतीत और विकास की संभावनाओं का प्रतीक बन गया। महोबा जिला बनाने के लिए तत्कालीन विधायक अरिमर्दन सिंह ‘नाना’ का सबसे बड़ा योगदान रहा जो क्षेत्रवासियों की स्वतंत्र जिले की मांग को लेकर अड़े रहे।

गौरवशाली इतिहास की अमिट गूंज
महोबा केवल एक ज़िला ही नहीं, बल्कि भारतीय वीरता और सांस्कृतिक समृद्धि की अमरगाथा है। यह वही भूमि है जहां चंदेल वंश के पराक्रमी योद्धाओं ने दुश्मनों से लोहा लिया और आल्हा-ऊदल जैसे वीरों की गाथाएं जन्मीं। ऐतिहासिक किलों, प्राचीन मंदिरों और कलात्मक जल संरचनाओं से सुसज्जित यह नगर भारतीय इतिहास में अपनी अलग पहचान रखता है।
सृजन दिवस पर उमड़ा उत्साह

स्थानीय नागरिकों ने आल्हा चौक पर केक काटकर और मिठाइयां बांटकर सृजन दिवस को उल्लासपूर्वक मनाया। इस अवसर पर अकबर मंसूरी (पूर्व जिलाध्यक्ष, मंसूरी समाज), अमित श्रोतिय, इरफान पठान, मनोज ओझा, शादाब मंसूरी, विजय पी. सिंह, शान मुहम्मद, रामसिंह, सीता पाल, सद्दाम, समीर, सरफराज, अजीज मुहम्मद, कांग्रेस नेता बृजराज सिंह, लवकेश राजपूत, तुनक तुनक तुक तुन्ना टीम (रोशन महोबा), दिलशाद, अजयराज कोली, प्रियांशु गोरे, अरविंद चौधरी, धर्मेन्द्र वर्मा, पंकज वर्मा सहित कई गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
विकास की नई राह पर महोबा
स्थानीय लोगों ने महोबा के ऐतिहासिक महत्व और विकास की गति पर चर्चा करते हुए इस दिन को यादगार बताया। वक्ताओं ने जिले की सांस्कृतिक धरोहर को संजोने और नई पीढ़ी को इसके गौरवशाली इतिहास से जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया।

सृजन दिवस न केवल जिले के निर्माण की याद दिलाता है, बल्कि इसे और सशक्त, आत्मनिर्भर और विकसित बनाने के संकल्प का दिन भी है।