महोबा

चन्देलकालीन गौरव गाथा का प्रतीक कीरत सागर, में जलपतवार से आच्छादित

शहर के युवकां ने सरोवर के जल को स्वच्छ बनाने के उद्देश्य से श्रमदान करने में जुटे
इनसेट

युवकां ने जिलाधिकारी को सामूहिक दिये प्रार्थना पत्र में क्या कहा क्या पूंछा
-समाजसेवी युवकां ने जिलाधिकारी को संयुक्त प्रार्थना पत्र देकर सरोवर के भूतल को अतिक्रमणकारियां से मुक्त कराने की लगाई गुहार
-शासन से सरोवर के गहरी करण हेतु आया 1.66 करोड़ की धनराशि सिंचाई विभाग कहां कर रही है व्यय जिलाधिकारी को दिये प्रार्थना पत्र में पूंछा व्यौरा
फोटो-न0 1
महोबा। चन्देल शासकां से विरासत में मिले पुरातत्व में संरक्षित होने के बावजूद सरोवर के आजू बाजू हो रहे अतिक्रमण तथा जलकुम्भी से मुक्त कराये जाने का शहर के नवयुवकां ने संकल्प लिया है। सूर्यदेव की धरा पर किरणें पूरी तरह नही फैल पाती है कि युवा हदय सम्राट नीरज रावत, राजेश गोस्वामी प्रशान्त गुप्ता, अभिषेक द्विवेदी, तेजेन्द्र पाटकार सहित अपनी टोली के साथ पहुंचकर सरोवर की साफ सफाई में जुट जाते है। गौरतलब बात तो यह है कि जिला प्रशासन की बगलें ताकने वाले तथा भाटगिरी करने वाले शहर के ही कुछ तथाकथित समाजसेवी इस परमार्थ के कार्य में नजर नही आ रहे है। परन्तु कुछ लोग अपने को प्रेस विज्ञप्तियां में अपने आपको समाजसेवी कहते ये कभी शर्मिन्दा नही होते है।
दिल्ली सम्राट पृथ्वीराज चौहान तथा महोबा नरेश परमादीदेव के सेना नायक आल्हा ऊदल के 850 वर्ष पूर्व हुये भीषण युद्ध की यादगार को समेटे चन्देलकालीन कीरत सागर के भूतल पर भूमाफियाआें की गिद्ध निगाहें टिकी हुई है। ऐनकेन प्रकारेण भूमाफियाओ ने राजस्व विभाग के कर्मचारियां से मिलकर सरोवर के भूतल और आजू बाजू पड़ी भूमि को किसी तरह हथिया लिया था। भूमाफियाओं द्वारा सरोवर के भराव और भूतल की जमीन को स्वयं की बताकर प्लाटिंग कर है। जिससे सरोवर की भव्यता और सुन्दरता कुरूपित हो रही है। कीरत सागर सरोवर के आजू बाजू तथा भूतल में हो रहे अतिक्रमण को पुरातत्व विभाग मूकदर्शक बना देख रहा है।
ज्ञातव्य हो कि वर्ष 2010 में केन्द्र सरकार द्वारा शासनादेश जारी किया गया था जिसमें स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया था कि पुरातत्व में संरक्षित मठ मन्दिरां तालाबां नदी नालां के 100 मीटर तक किसी भी प्रकार के निर्माण कार्यां पर रोक लगा दी गई थी। तथा 200 मीटर की परिधि में विनिमय क्षेत्र तथा विभागीय अनुमति लेना निषिद्ध किया था। यहां एक दशक के अन्दर शासनादेश को बलाये ताक पर रखकर तथा विभागीय अधिकारियां की निष्क्रिय कार्यप्रणाली के चलते सरोवर के आजू बाजू और तटबन्ध से लगे हुये क्षेत्र में बेरोकटोक निर्माण किये गये है। जिसका जबर्दस्त विरोध करते हुये समासेवियां द्वारा बीते रोज जिलाधिकारी अवधेश तिवारी को ज्ञापन सौंपकर सरोवर के भूतल और आरक्षित क्षेत्र में किये गये अतिक्रमण को हटवाये जाने तथा पानी में फैली जलकुम्भी और जलपतवार को अविलम्ब हटवाये जाने की मांग की गई है। समाजसेवी युवकां द्वारा जिलाधिकारी महोबा को दिये गये प्रार्थना पत्र में कहा है कि प्रदेश सरकार द्वारा सिंचाई प्रखण्ड महोबा को 1.66 करोड़ रूपया साफ सफाई बावत दिया गया है। जिस पर शासन से प्राप्त उक्त धनराशि पर अजगर की तरह कुण्डी मारे बैठा हुआ है। उक्त धनराशि से सरोवर के गहरीकरण तथा साफ सफाई बाबत कार्ययोजना तैयार कर सरोवर के गहरीकरण और जलपतवार कों हटवाये जाने की प्रमुखता के साथ मांग उठाई है। समाजसेवी युवकां ने पिछले 11 दिनां के अन्दर कीरत सागर में फैली जलकुम्भी को 20 प्रतिशत पानी से निकालकर भूतल में डाल दिया है। युवकां द्वारा पानी से निकाले गये खरपतवार को भूतल से बाहर फिकवाये जाने की प्रमुखता के साथ मांग की है।

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