महोबा

खून से खत लिखकर बुंदेलों ने मांगी इच्छा मृत्यु

मानव अधिकार दिवस पर बुंदेली समाज ने उठाया मरणासन्न स्वास्थ्य सेवाएं सुधारने का मसला

रिपोर्ट, पवन सिंह

महोबा। बुंदेलखंड राज्य व क्षेत्र की बदहाल स्वास्थ्य सेवाएं के खिलाफ लंबे समय से संघर्ष कर रहे बुंदेली समाज ने आज विश्व मानव अधिकार दिवस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को रिकार्ड 11वीं बार खून से खत लिखे एवं इच्छा मृत्यु देने की मांग की। उन्होंने कहा कि इलाज के अभाव में तिल-तिल कर मरने से अच्छा है कि सरकार हमें अब मरने का अधिकार दे दे।
आल्हा चौक स्थित अंबेडकर पार्क में बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर समेत 10 लोगों ने प्रधानमंत्री के नाम अपने खून से खत लिखकर अपनी पीड़ा बयां की एवं कहा कि न तो सरकार हमें बुंदेलखंड राज्य देना चाहती है और न हम बुंदेलों को इलाज की सुविधाएं। इससे बेहतर है सरकार हमें मरने का अधिकार दे दे।
अंबेडकर पार्क में पहले सभी लोगों ने सिरिंज से खून निकलवाया फिर वहीं बैठकर खत लिखे।

प्रधानमंत्री के नाम अपने खून से खत लिखकर अपनी पीड़ा की बयां

तारा पाटकर ने कहा कि सरकार क्षेत्र की मरणासन्न स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने में पूरी तरह नाकाम रही है। महामंत्री डा. अजय बरसैया ने कहा कि जिस नयी संसद का भूमि पूजन आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कर रहे हैं, उसे दो साल में बनाने की तैयारी है लेकिन महोबा की मरणासन्न स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए सरकार तीन साल में नये अस्पताल के लिए जमीन तक फाइनल नहीं कर पायी। वो भी तब जब तीन बार डीएम जमीन चयनित कर शासन को भेज चुके हैं। शायद मर रहे लोगों के लिए नये अस्पताल से ज्यादा सांसदों के लिए नयी संसद जरूरी है। सुरेश बुंदेलखंडी, रमाकांत नगायच, प्रेम चौरसिया, ग्यासी लाल कोस्टा, सिद्धांत त्रिपाठी, हरीओम निषाद, कृष्णा शंकर जोशी, देवेन्द्र तिवारी, प्रेम साहू, इकबाल हुसैन व अनिरुद्ध मिश्रा ने अपने खून से खत लिखे।

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