महोबा

उद्यान विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं से जनपद के कृषकों हो रहा आर्थिक विकास- जिलाधिकारी

महोबा। जिला मजिस्ट्रेट अवधेश कुमार तिवारी ने जनपद के किसान बन्धुओं को जानकारी देते हुए कहा कि उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग उ०प्र० द्वारा जनपद के कृषकों की आय में अतिरिक्त वृद्वि हेतु विभिन्न लाभकारी योजनायें संचालित की जा रही हैं। जनपद के कृषकों में महेश कुमार वर्मा पुत्र श्री मुन्नालाल निवासी – सिजहरी, महोबा में अग्रणी कृषक है। विभागीय सहायता एवं अपने निजी संसाधनों के द्वारा औद्यानिकी के क्षेत्र में इनके द्वारा सर्वोत्कृष्ट कार्य किये जा रहे हैं। लगभग 34 बीघे के क्षेत्रफल में इनके अथक परिश्रम के द्वारा बागवानी, फूलों की खेती, औषधीय खेती, सब्जी की खेती व साथ ही पारम्परिक कृषि फसलों की जैविक तरीके से खेती की जा रही है। श्री महेश कुमार द्वारा अपने व्यक्तिगत प्रयासों से तैयार किये गये अपने प्रक्षेत्र पर अब तक उद्यान विभाग में संचालित निम्नलिखित योजनाओं द्वारा सहायता प्रदान की गई है:

जिला औद्यानिक मिशन – योजनान्तर्गत इनके प्रक्षेत्र पर गेंदा व गुलाब की खेती की जा रही है। जो प्रक्षेत्र के सौन्दर्य में वृद्धि के साथ-साथ अतिरिक्त आय का भी एक साधन है। हर्ष के साथ श्री वर्मा द्वारा अन्य कृषकों को जानकारी दी जाती है कि गेंदा व गुलाब का उद्यान विभाग से अनुदान धनराशि तो प्राप्त होती ही है व फूलों की बिक्री से भी आमदनी बढ़ती है।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना – बुन्देलखण्ड जैसे क्षेत्र में जल की कमी प्रमुख समस्या है। यह योजना बुन्देलखण्ड जैसे क्षेत्र के लिए वरदान है। सूक्ष्म सिंचाई संयत्रों के द्वारा पानी उचित मात्रा में पौधों को प्राप्त होता है। श्री वर्मा द्वारा अपने प्रक्षेत्र पर योजनान्तर्गत ड्रिप सिंचाई, रेनगन, मिनी-स्प्रिंकलर सिंचाई संयत्रों की स्थापना कराई है। श्री वर्मा बताते हैं कि आधुनिक पद्धति से ड्रिप/स्प्रिंकलर के प्रयोग से कृषि फसलों की उपज में वृद्धि के साथ-साथ पानी की 50 प्रतिशत तक बचत होती है।

बुन्देलखण्ड एवं विन्ध्य क्षेत्र में औद्यानिक विकास की योजना – योजनान्तर्गत श्री वर्मा द्वारा अपने प्रक्षेत्र पर 01 हे0 क्षेत्रफल में नींबू के पौधों का रोपण वर्ष 2017-18 में किया गया है। अगले वर्ष से इसकी फलत से लगभग रू0 3.00 लाख प्रतिवर्ष की अतिरिक्त आमदनी प्राप्त होने लगेगी।

  1. सब्जी की खेती – श्री वर्मा द्वारा अपने प्रक्षेत्र पर वर्तमान वर्ष में लगभग 02.0 हे0 क्षेत्र में बैंगन की खेती जैविक विधि से की जा रही है।
  2. औषधीय पौध मिशन योजना – श्री वर्मा द्वारा विगत वर्ष में अपने प्रक्षेत्र पर लगभग 0.50 हे0 क्षेत्रफल में अश्वगंध की खेती की गई। जिससे विभागीय अनुदान के साथ-साथ बाजार में अच्छे दाम प्राप्त हुये। इस वर्ष श्री वर्मा द्वारा लेमनग्रास की खेती की जा रही है।
  3. जैविक कृषि – श्री वर्मा अपने प्रक्षेत्र पर वर्मी कम्पोस्ट/केंचुआ खाद गाय के गोबर से तैयार कर प्रयोग करते हैं। इसके साथ ही संजीवनी खाद, जीवामृत का भी प्रयोग करते हैं। जो स्वस्थ्य फसल एवं मानव शरीर के लिए लाभदायक है।
  4. गौ-वंश पालन – श्री वर्मा अपने प्रक्षेत्र पर लगभग 10 गाय का पालन कर रहे हैं । गाय के गोबर व मूत्र का प्रयोग जैविक खाद बनाने में व दूध का प्रयोग घी, दही, मट्ठा आदि के लिए करते हैं।
  5. नर्सरी की स्थापना – श्री वर्मा द्वारा अपने प्रक्षेत्र पर एक छोटी नर्सरी स्थापित की जा रही है। जिससे जनपद के कृषकों को गुणवत्तायुक्त फूलों/फलों/शोभाकार पौधे आसानी से प्राप्त होने लगें।जिला उद्यान अधिकारी द्वारा नर्सरी की स्थापना में सहयोग प्रदान किया जा रहा है।
  6. मधुमक्खी पालन – श्री वर्मा द्वारा इस वर्ष प्रायोगिक तौर पर मधुमक्खी पालन के दो बाॅक्स तैयार किये गये हैं। बताते हैं कि सफलता मिलने पर इसमें वृद्धि की जायेगी।

उपरोक्त के साथ-साथ सामाजिक गतिविधियों में श्री वर्मा द्वारा एक कृषक उत्पादक संगठन का गठन किया गया है, जिसमें प्रगतिशील कृषक हरगोविन्द, चिन्ताहरण, भास्कर गंगेले, आदित्य श्रीवास्तव आदि सम्मिलित हैं। यह संगठन जनपद में खेती, बागवानी एवं कृषकों को आमदनी बढ़ाने व जीवन स्तर को सुधारने हेतु प्रयास कर रहा है। श्री वर्मा बताते हैं कि जिला उद्यान अधिकारी-श्री विजय कुमार चैरसिया व जिला कृषि अधिकारी-श्री वी0पी0 सिंह उनके प्रक्षेत्र का भ्रमण करते रहते हैं। भ्रमण के दौरान अधिकारियों द्वारा आधुनिक कृषि पद्धति से खेती करने में आ रही समस्या के निदान के साथ-साथ तकनीकी जानकारी प्रदान की जाती है।श्री वर्मा द्वारा बताया गया कि जिलाधिकारी महोदय द्वारा भी उनके प्रक्षेत्र भ्रमण के दौरान फूलों की खेती की प्रशंसा की गयी है, जिसके लिए श्री वर्मा समस्त अधिकारियों का आभार प्रकट करते हैं।
अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुये श्री वर्मा बताते हैं कि एक समय दिल्ली में मेहनत मजदूरी करके अपना जीवन-यापन कर रहे थे। वहाँ हरियाणा के किसानों से उन्हे प्रेरणा मिली कि वहाँ के किसान एक एकड़ भूमि को किराये पर लेकर सब्जी की खेती करते हैं, इससे अपने परिवार का भरण-पोषण भी करते हैं। और सम्पन्नतापूर्वक जीवन-यापन करते हैं। बुन्देलखण्ड के किसानों हेतु यह प्रेरणा लेकर सूरा चैकी में भूमि को क्रय करके 2012 में कार्य प्रारम्भ किया। अपने प्रक्षेत्र को जनपद के किसानों के लिए सौन्दर्यीकरण के साथ-साथ आय बढ़ोत्तरी की नई-नई तकनीकों के माॅडल के रुप में पेश करते हैं, और सम्पर्क में आने वाले किसान भाइयों से अनुरोध करते हैं कि फार्म पर खेती करने के साथ-साथ बागवानी, फूलों की खेती, मसाला की खेती आदि से आय बढ़ाकर जीवन स्तर में सुधार ला सकते हैं।

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