महोबा

महिला सशक्तिकरण के पथ पर महोबा: मिशन शक्ति के अंतर्गत मेला आयोजन से स्व-सहायता समूहों को मिला बड़ा मंच

रिपोर्ट : शान मुहम्मद

महोबा के मिशन शक्ति कार्यक्रम के तहत आयोजित महोत्सव का उद्देश्य न केवल महिलाओं को सशक्त बनाना था, बल्कि उनके द्वारा निर्मित उत्पादों को भी एक व्यापक मंच प्रदान करना था, जिससे वे आर्थिक स्वावलंबन की दिशा में आगे बढ़ सकें। इस महोत्सव में राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (NULM) महोबा के तहत विभिन्न स्व-सहायता समूहों द्वारा निर्मित उत्पादों के स्टाल लगाए गए, जहां उन्होंने अपने उत्पादों की प्रदर्शनी एवं बिक्री की। इस आयोजन में पीओ डूडा राकेश वर्मा, शहरी मिशन प्रबंधक नीलम गंगेल और सामुदायिक आयोजक अलीमुन निशा की गरिमामयी उपस्थिति रही, जो इस कार्यक्रम की सफलता के लिए समर्पित थीं।

महिलाओं के लिए विशेष मंच: स्व-सहायता समूहों की भागीदारी

इस मेले में महोबा जिले के कई स्व-सहायता समूहों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और अपने उत्पादों को जनसामान्य के सामने प्रस्तुत किया। भाग लेने वाले प्रमुख समूहों में रोशनी स्व-सहायता समिति, रसिका स्व-सहायता समूह, भावना आटा चक्की स्व-सहायता समूह, सिलाई गृह उद्योग स्व-सहायता समूह, वीर भूमि स्व-सहायता समूह, सरस्वती स्व-सहायता समूह, पराशक्ति स्व-सहायता समूह, श्री रामराजा महिला स्व-सहायता समूह, और वीराना लक्ष्मीबाई समूह शामिल थे। इन समूहों ने न केवल अपने उत्पादों को प्रदर्शित किया, बल्कि अपने हुनर और मेहनत को भी दर्शाया, जो महिला सशक्तिकरण का जीवंत उदाहरण है।

उद्देश्य: आर्थिक स्वावलंबन और सशक्तिकरण

इस मेले का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के स्व-सहायता समूहों को प्रोत्साहित करना और उन्हें अपने उत्पादों को एक बड़े मंच पर प्रदर्शित करने का अवसर देना था। इस प्रयास का मकसद यह है कि महिलाएं आत्मनिर्भर बनें और आर्थिक रूप से सक्षम बन सकें। मेले के माध्यम से इन समूहों को व्यापार का नया अनुभव प्राप्त हुआ और उन्हें अपने उत्पादों की बाजार की मांग का भी अंदाजा हुआ। मेले के दौरान कई खरीदारों ने इन उत्पादों को सराहा और महिलाओं के इस कदम की प्रशंसा की।

मेले में प्रदर्शित उत्पाद: हुनर और रचनात्मकता का अनूठा संगम

इस मेले में स्व-सहायता समूहों ने अपने हाथों से तैयार किए गए विविध उत्पाद प्रदर्शित किए, जिनमें हस्तशिल्प, परंपरागत घरेलू उत्पाद, हस्तनिर्मित आभूषण, खाद्य पदार्थ, कपड़े, और सजावटी सामग्री शामिल थीं। हर उत्पाद में महिलाओं का कौशल और उनकी मेहनत झलक रही थी। रोशनी स्व-सहायता समिति ने हस्तशिल्प के उत्पादों की प्रदर्शनी की, वहीं भावना आटा चक्की समूह ने स्थानीय खाद्य उत्पाद प्रस्तुत किए। सिलाई गृह उद्योग समूह ने कपड़ों और परिधानों में अपनी विशेषता को प्रदर्शित किया। वीर भूमि समूह और सरस्वती समूह द्वारा बनाये गए हस्तनिर्मित आभूषणों ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया, जो इस बात का संकेत था कि ये उत्पाद बड़ी मात्रा में खरीदे जा सकते हैं।

स्थानीय जनता की भागीदारी: ग्रामीण संस्कृति और उत्पादों की मांग

इस मेले में न केवल शहरी बल्कि ग्रामीण जनता ने भी बड़ी संख्या में भाग लिया। मेले में आने वाली भीड़ ने इन उत्पादों की गुणवत्ता और उनके अनूठेपन को सराहा, जो ग्रामीण क्षेत्रों की संस्कृति और परंपरा को प्रतिबिंबित करते थे। लोग न केवल खरीददारी कर रहे थे बल्कि इस आयोजन का भरपूर आनंद भी ले रहे थे। बच्चों, बुजुर्गों, और युवाओं की बड़ी उपस्थिति ने इस मेले को विशेष बना दिया, जहां उन्होंने स्थानीय महिलाओं द्वारा बनाए गए उत्पादों की प्रशंसा की और उनके आत्मनिर्भरता के इस कदम को सराहा।

मिशन शक्ति के तहत महिलाओं को मिली नई दिशा

मिशन शक्ति कार्यक्रम के तहत महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की इस पहल ने उन्हें अपने उत्पादों के माध्यम से अपना भविष्य उज्ज्वल करने का एक नया अवसर प्रदान किया। इस प्रकार के आयोजनों से महिलाओं को आर्थिक मजबूती मिलती है, जिससे वे अपने परिवार और समाज में आत्मनिर्भर बन सकें। इस कार्यक्रम के माध्यम से यह स्पष्ट हो गया कि महिलाएं यदि सही दिशा और मंच प्राप्त करें तो वे अपनी पहचान बनाने में सक्षम हैं और समाज के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं।

आयोजन का महत्व और भावी योजना

कार्यक्रम के आयोजनकर्ताओं ने बताया कि इस तरह के आयोजन आगे भी जारी रहेंगे और इन्हें और व्यापक रूप में आयोजित करने का प्रयास किया जाएगा। इसके लिए अन्य सरकारी योजनाओं और स्थानीय स्तर पर अधिक से अधिक महिलाओं को जोड़ने की योजना है। कार्यक्रम में उपस्थित शहरी मिशन प्रबंधक नीलम गंगेल ने कहा कि इस तरह के मेलों से महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ता है और उन्हें आर्थिक आजादी प्राप्त करने का अवसर मिलता है। वहीं, सामुदायिक आयोजक अलीमुन निशा ने कहा कि मेले का उद्देश्य केवल आर्थिक विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि यह महिलाओं के सशक्तिकरण और उनके हुनर को पहचान दिलाने का एक प्रयास है।

महोबा की महिलाएं आत्मनिर्भरता की ओर

इस मेले ने यह साबित कर दिया कि यदि महिलाओं को अवसर और समर्थन मिले, तो वे अपने उत्पादों के माध्यम से समाज में एक सकारात्मक बदलाव ला सकती हैं। महोबा में आयोजित इस मेले ने स्व-सहायता समूहों की महिलाओं के आत्मबल और उनकी आर्थिक क्षमता को उजागर किया है। ऐसे आयोजनों के माध्यम से महोबा की महिलाएं आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूत कदम उठा रही हैं, जो न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे समाज के लिए लाभकारी है।

Vijay Pratap Singh

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