करवा चौथ 2024: व्रत, पूजा विधि, महत्व और पौराणिक कथा
करवा चौथ हिंदू धर्म में विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रमुख व्रत है, जो उनके पति की लंबी आयु, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए रखा जाता है। यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में आता है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक बिना अन्न और जल ग्रहण किए उपवास करती हैं।
करवा चौथ का महत्त्व
करवा चौथ का विशेष महत्व पति-पत्नी के संबंधों में प्रेम, विश्वास और समर्पण को मजबूत करना है। यह पर्व विशेष रूप से उत्तर भारत में जैसे उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, और हरियाणा में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
करवा चौथ की पौराणिक कथा
करवा चौथ की प्रमुख कथा सावित्री और सत्यवान की है, जिसमें सावित्री ने यमराज से अपने पति के प्राण वापस लिए थे। इसके अलावा करवा नामक एक पतिव्रता महिला की कथा भी प्रचलित है, जिसने अपने पति को मगरमच्छ के चंगुल से छुड़ाने के लिए यमराज से उसकी रक्षा की थी।
व्रत और पूजा विधि
व्रत की शुरुआत सूर्योदय से पहले सरगी खाकर की जाती है, जो सास द्वारा दी जाती है। दिनभर महिलाएं भगवान शिव, माता पार्वती, और भगवान गणेश की पूजा करती हैं। शाम को महिलाएं करवा चौथ की कथा सुनती हैं और चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत तोड़ती हैं।