महोबा में 66 लाख पौधे किये गए रोपित, आखिर किसको इनकी परवरिश की जिम्मेवारी ? पढ़े खबर
- जिले की वसुधा मे 66 लाख वृक्षारोपण कर सम्बंधित अधिकारियो ने अपने कर्तव्यो की इतिश्री मानी
महोबा। सरकारी मशीनरी की मानो तो जिले मे शनिवार के रोज 66 लाख विभिन्न प्रजापति के पौधो का जिले की वसुधा को हरा भरा बनाये जाने के उद्देश्य से वृक्षारोपण किया गया है।
जिले की प्रशासनिक मशीनरी ने प्रदेश सरकार की महत्वपूर्ण वृक्षारोपण जनअभियान योजना को अमलीजामा पहनाये जाने की कोशिश के अन्र्तगत 22 जुलाई को जिले के चारो विकासखण्डो तथा ग्रामीण अंचलो के साथ- साथ शहरी क्षेत्रो मे 66 लाख पौधो का वृक्षारोपण कर वसुधा को हरा भरा बनाये जाने की महत्वाकांक्षा को लेकर 66 लाख पौध रोपण का कार्य किया गया है। इस अभियान के अन्र्तगत वनविभाग द्वारा 34 लाख तथा अन्य विभागो द्वारा 32 लाख पौधो का रोपण जिले मे खाली पड़ी भूमि पर कर देश शाम प्रदेश सरकार को यह उपलब्धी रूकसत की हैै। पिछले 6 वर्षो के अन्तराल मे प्रत्येक वर्ष इसी तरह वर्षा ऋतु मे लाखो वृक्षो का रोपण किया जाता है परंतु रखरखाव के अभाव मे पेड़ो का ना होना प्रदेश सरकार का यह प्रयास गत वर्षो की भाॅति इस वर्ष भी विफल होता दिखाई दे रहा है। वृक्षो को लगाना महत्वपूर्ण बात तो है कि इससे अधिक महत्वपूर्ण वृक्षो का परवरिश करना अत्यन्त महत्वपूर्ण है। वृक्ष लगाने से धरा पर स्वतः लहराने लगेगेे यह असम्भव है। जब तक उनकी परवरिश तनमिता के साथ नही की जायेगी तो इस तरह वृक्षारोपण का कोई औचित्य नही है। प्रकृति हर वर्षा ऋतु मे स्वतः वृक्षो को जन्म देती है परंतु रखरखाव और परवरिश के अभाव मे करोड़ो वृक्ष प्रतिवर्ष सूख जाते है या उन्हे आमजन मानस द्वारा नष्ट कर दिया जाता है। जिले के पहाड़ो तथा वनक्षेत्र की भूमि पर तो छोड़िये अगर कोई व्यक्ति अपने आवास को एक वर्ष के लिए छोड़ दे तो उसमे भी प्रकृति कब्जा कर लेती है और स्वतः पेड़ उगने लगते है। महत्वपूर्ण बात तो यह है कि वृक्षारोपण मे जिस तरह धन का व्यय किया जाता है। इसके स्थान पर वृक्षारोपण का कार्य लाखो मे नही हजारो मे कराया जाये और उनकी परवरिश लगन निष्ठा से की जाये तभी जिले की वसुधा मे हरित क्रांति लायी जा सकती है। अन्यथा गत वर्षो की भाॅति इस वर्ष भी किया गया वृक्षारोपण उसी गति को पहुॅचेगा जैसे हर वर्ष पेड़ तो लगाये गये परंतु परवरिश के अभाव मे नष्ट होते रहे है।