महोबा। ड्रग इंस्पेक्टर की खाऊ कमाऊ नीति के चलते जिले के कुछ मेडिकल स्टोरो मे जीवन रक्षक दवाओ के स्थान पर शासन से प्रतिबंधित नशीली औषधियो का खुलेआम विक्रय किया जा रहा है। परिणाम स्वरूप जिले का 10 से 15 प्रतिशत युवक नशीली दवाओ का सेवन कर अहिस्ता- अहिस्ता काल के गाल मे समाहित होने की ओर अग्रसर हो रहा है।
कुछ मेडिकल स्टोरो के मालिको का धंधा मुख्य रूप से जीवन रक्षक औषधी बेंचने के स्थान पर उन्होने नशीले पदार्थ बेंचे जाने के धंधे को अपना लिया है। कुछ समय पूर्व पान की गुमटी मे बैठकर 200- 400 रूपये प्रतिदिन कमाने वाले यह लोग आज नशीली दवाओ के कारोबार के दम पर अरबो की सम्पत्ति के मालिक बन बैठे है। शहर मे ही कई आलीशान भवनो के अतिरिक्त आसपास के ग्रामीण अंचलो मे करोड़ो की कृषि भूमि खरीद रखी है। शहर के ही कुछ मेडिकल स्टोरो मे नोरफिन इंजेक्शन, कोरेक्स सीरप, फैनसिडिल सीरप, फिनरगान सीरप, कोडीस्टार सीरप, टोसेक्स सीरप, नाईट्रावेट टेबलेट, नाईटटेन टेबलेट, क्लोनाफिट टेबलेट, बिलयमटेन टेबलेट, एलेप्रेक्स टेबलेट, एटीवान टेबलेट, क्लोज टेबलेट, कामपोज इंजेक्शन, फोरिबिन इंजेक्शन, फिनरगन इंजेक्शन आदि दवाओ को बगैर चिकित्सक के लिखे खुलेआम बेंचते देखा जा रहा है। उपरोक्त औषधियां का सेवन अधिकतर युवको को प्रयोग करते देखा जा सकता है। ये अत्यन्त हानिकारक और नशीली औषधिया है। इनका प्रयोग नशे के लती हो चुके युवको को करते देखा जा सकता है। इनकी कीमत भले ही कम हो परंतु नशैलची युवको को 2- 4 रूपये मे मिलने वाली टेबलेट 200 से लेकर 250 रूपये तक बेंची जाती है। नशे के लती हो चुके युवक अपने जीवन की परवाह किये बगैर इन औषधियो का सेवन कर अहिस्ता – अहिस्ता काल के गाल मे समाहित होने की दिशा मे जा रहे है और ड्रग इंस्पेक्टर उपरोक्त गोरखधंधे से बेखबर हो कुम्भकर्ण की निंद्रा मे लीन है।