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विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (10 सितम्बर) पर विशेष

जीवन है अनमोल, इसको न समझें कोई खेल

हताशा व निराशा में कोई भी गलत कदम न उठाएं
महोबा। जीवन में जल्द से जल्द सब कुछ हासिल कर लेने की तमन्ना और एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में आज लोग बेवजह मानसिक तनाव का शिकार हो रहे हैं। इसमें जरा सी नाकामयाबी अखरने लगती है और लोग अपनी जिन्दगी तक को दांव पर लगा देते हैं। इसी को देखते हुए हर साल 10 सितम्बर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे (विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस) की थीम है- “आत्महत्या रोकने को मिलकर काम करना ।
कोरोना काल में मीडिया में ऐसी कई खबरें आईं कि कोरोना उपचाराधीन ने डर के कारण आत्महत्या कर ली, इसमें पढ़े लिखे लोग भी शामिल थे। कुछ लोगों ने आर्थिक तंगी से परेशान होकर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या का सीधा जुड़ाव मानसिक स्वास्थ्य से है। इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन के अनुसार विश्व में आठ लाख लोग हर साल आत्महत्या करते हैं, यानि हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति की मृत्यु आत्महत्या से होती है। नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में आत्महत्या की दर 2.4 प्रति लाख जनसंख्या है मतलब यह है कि एक लाख की आबादी पर लगभग दो लोग आत्महत्या करते हैं वहीं राष्ट्रीय दर 10.4 प्रति लाख जनसंख्या है।
मुख्य चिकित्साधिकारी डा. मनोज कांत सिन्हा ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति लंबे समय से हीन भावना से ग्रस्त है अथवा आत्महत्या करने की सोच रहा है तो वह एक मानसिक बीमारी से ग्रस्त है। मानसिक अस्वस्थता के कारण ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो सकती है, उचित परामर्श और चिकित्सा पद्धति के माध्यम से इसका उपचार किया जा सकता है।

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