महोबा

महोबा में बालू माफियाओं का कहर, खेत से निकाली लाखों की बालू, पैसे मांगने पर किसान को जान से मारने की धमकी

रिपोर्ट – शान मुहम्मद

महोबा, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में एक किसान के खेत से बालू माफियाओं द्वारा अवैध रूप से लाखों रुपये की बालू निकाले जाने का मामला सामने आया है। पीड़ित किसान का आरोप है कि उसे पहले 6 लाख रुपये देने का लालच देकर बालू खनन माफियाओं ने खेत से बालू निकाली, लेकिन बाद में पैसे मांगने पर उसे जान से मारने की धमकी दी। इस घटना से किसान और उसके परिवार में भय का माहौल है, और उन्होंने पुलिस अधीक्षक से न्याय और सुरक्षा की गुहार लगाई है।

घटना का पूरा विवरण

महोबा जिले के पनवाड़ी थाना क्षेत्र के गौनगुढ़ा गांव के निवासी किसान जगदीश पुत्र प्यारेलाल कुशवाहा ने पुलिस अधीक्षक को एक लिखित प्रार्थना पत्र देकर बताया कि बालू माफिया बृजेन्द्र पुत्र लालदिवान राजपूत ने उसके खेत से बालू निकालने के लिए छह लाख रुपये देने का आश्वासन दिया था। जगदीश का कहना है कि यह रकम देने का लालच देकर बृजेन्द्र ने उसके खेत से एलएनटी मशीनों के माध्यम से भारी मात्रा में बालू का खनन किया और उसे लाखों रुपये का नुकसान पहुंचाया। लेकिन जब जगदीश ने वादा की गई रकम मांगी, तो बृजेन्द्र ने पैसे देने से इंकार कर दिया और उल्टा उसे जान से मारने की धमकी दी।

बालू माफियाओं के बढ़ते हौसले

महोबा और उसके आस-पास के क्षेत्रों में बालू खनन माफियाओं का दबदबा लगातार बढ़ता जा रहा है। बालू माफिया सरकारी नियमों और स्थानीय प्रशासन की निगरानी के बावजूद अवैध रूप से बालू का खनन करते हैं, जिससे किसानों की जमीनें बर्बाद हो रही हैं और उन्हें आर्थिक हानि उठानी पड़ रही है। जगदीश जैसे छोटे किसान, जो अपनी जमीन पर निर्भर होते हैं, इन माफियाओं के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करने की स्थिति में नहीं होते हैं। बालू खनन माफिया अक्सर अपने प्रभाव और दबदबे के चलते किसानों को डराते हैं और उनकी आवाज को दबाने का प्रयास करते हैं।

पुलिस और प्रशासन से न्याय की उम्मीद

जगदीश द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र में मांग की गई है कि उसे बालू माफिया से उसका छह लाख रुपये दिलाया जाए और उसकी और उसके परिवार की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। उन्होंने लिखा है कि बालू माफियाओं के कारण वह और उसका परिवार भयभीत हैं और अपनी जान की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए किसान जगदीश ने उम्मीद जताई है कि पुलिस अधीक्षक इस मामले में जल्द से जल्द सख्त कार्रवाई करेंगे।

बालू माफियाओं की समस्या और सरकारी कार्रवाई की कमी

उत्तर प्रदेश के कई जिलों में अवैध बालू खनन एक गंभीर समस्या बन चुका है। बालू माफिया न केवल सरकारी जमीनों, बल्कि किसानों की निजी जमीनों पर भी धावा बोलते हैं और वहां से बालू निकालते हैं। कई बार ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है और प्रशासन से भी उन्हें कोई सहायता नहीं मिलती। बालू खनन से न सिर्फ किसानों की जमीनें बर्बाद होती हैं, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी गंभीर खतरा पैदा करता है। बालू खनन से नदियों का प्रवाह बाधित होता है और भूमि का कटाव बढ़ता है, जिससे बाढ़ और अन्य आपदाओं का खतरा बढ़ जाता है।

स्थानीय किसानों का रोष

इस घटना के बाद स्थानीय किसानों में भी रोष व्याप्त है। उनका कहना है कि बालू माफिया खुलेआम किसानों की जमीनों पर कब्जा कर बालू निकाल रहे हैं और प्रशासन मौन है। कई किसान अपने खेतों में इस तरह की घटनाओं के कारण खेती करना छोड़ चुके हैं क्योंकि उन्हें आए दिन बालू माफियाओं से धमकियां मिलती रहती हैं। महोबा जिले में बालू खनन माफियाओं का प्रभाव बढ़ता जा रहा है, जिससे किसानों का जीवन दूभर हो गया है।

सरकार और प्रशासन की भूमिका

उत्तर प्रदेश में बालू खनन माफियाओं के खिलाफ सरकार ने कई बार सख्त कदम उठाने का दावा किया है, लेकिन इसके बावजूद इस समस्या पर पूरी तरह से काबू नहीं पाया जा सका है। सरकार द्वारा नदियों में अवैध बालू खनन रोकने के लिए विशेष पुलिस बलों का गठन भी किया गया है, लेकिन इन प्रयासों का जमीनी स्तर पर असर बहुत कम दिखता है। किसानों का कहना है कि बालू माफियाओं के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई होती है, लेकिन अक्सर वह सिर्फ दिखावा ही होती है और बाद में माफिया फिर से अपने काम में लग जाते हैं।

भविष्य की चिंताएं

बालू खनन से प्रभावित किसानों का भविष्य इस समय संकट में दिखाई दे रहा है। अगर बालू खनन माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो यह समस्या आने वाले समय में और गंभीर हो सकती है। किसानों को उम्मीद है कि सरकार और प्रशासन उनके अधिकारों की रक्षा करेंगे और बालू खनन माफियाओं पर कठोर कार्रवाई करेंगे।

इस मामले में जगदीश ने पुलिस अधीक्षक से जान-माल की सुरक्षा की गुहार लगाई है, और अगर प्रशासन इस पर त्वरित कार्रवाई करता है, तो यह अन्य पीड़ित किसानों के लिए एक सकारात्मक संदेश हो सकता है।

Vijay Pratap Singh

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