महोबा के नन्हें नायक : ‘महोबा यूथ’ के जज्बे ने जनपद में मानवता की मिसाल पेश की
उत्तर प्रदेश के महोबा जिले के नवयुवा साथियों ने ‘महोबा यूथ’ संगठन के माध्यम से जो मिसाल कायम की है, वह महोबा शहर में मानवता और सेवा का एक अनोखा संदेश दे रही है। महज 14 से 16 वर्ष की आयु के इन बच्चों ने यह साबित कर दिया है कि समाज सेवा के लिए उम्र नहीं, बल्कि दिल में सेवा का जज्बा होना चाहिए। इन बच्चों ने अपनी पॉकिट मनी बचाकर जरूरतमंदों को हर रविवार को निशुल्क भोजन कराने का संकल्प लिया है, जो पिछले कई महीनों से निरंतर चल रहा है।
आज के समय में जब अधिकांश बच्चे छुट्टियों का आनंद लेने में व्यस्त रहते हैं, वहीं महोबा यूथ के ये बच्चे अपना रविवार समाजसेवा में बिताते हैं। इस छोटी सी उम्र में ही ये बच्चे सुबह से पूरी टीम के साथ भोजन बनाने से लेकर वितरित करने तक का पूरा जिम्मा निभाते हैं। जिला अस्पताल के सामने जरूरतमंद बुजुर्ग, असहाय और बीमार लोगों को वे अपने हाथों से खाना खिलाते हैं। इन बच्चों के पास सीमित संसाधन हैं, लेकिन इनका हौसला और आत्मविश्वास अनगिनत है। सेवा के इस निःस्वार्थ प्रयास ने इन्हें जिले में एक उदाहरण बना दिया है।
‘महोबा यूथ’ टीम में सुयश नगायच, चिराग सोनी, प्रवाल पुरवार, नैतिक सोनी, प्रशांत मिश्रा, आदर्श शुक्ला, अनुभव शुक्ला, अनुराग शुक्ला, अभय शुक्ला, आर्यन साहू, राघव पांडे, हर्ष निगम, आभाष साहू, देवांश साहू, शिवम रैकवार, आलोक पाठक, ऋतुराज सिंह, आयुष्मान सिंह, रजत मिश्रा, ऋषि गुप्ता, स्पर्श विश्वकर्मा, और सुभाशीष सोनी जैसे नायक शामिल हैं। ये सभी बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ अपनी जेब खर्ची से पैसा बचाकर यह नेक काम कर रहे हैं।
इन बच्चों का यह कदम केवल महोबा के लोगों को ही नहीं, बल्कि अन्य क्षेत्र और जिलों के लोगों को भी प्रेरित करता है कि सेवा का कार्य बड़ा या छोटा नहीं होता। इनके इस अनुकरणीय प्रयास को देखकर हमें भी इनका मनोबल बढ़ाना चाहिए और मदद के लिए आगे आना चाहिए ताकि महोबा में कोई भी भूखा न सोए। इन छोटे बच्चों के साहस और परोपकार को देखकर सभी का मन भर आता है और यही दुआ निकलती है कि ईश्वर इन बच्चों के भविष्य को उज्ज्वल करे और उनकी सफलता का मार्ग प्रशस्त करे।