गोवर्धन मेले में आल इंडिया मुशायरा: शेर-ओ-शायरी से गूंजा मंच, श्रोताओं ने उठाया लुत्फ
रिपोर्ट : शान मुहम्मद (शानू)
महोबा, चरखारी। गोवर्धन मेले के मंच पर आयोजित आल इंडिया मुशायरा में देश-विदेश के नामचीन शायरों ने अपने कलाम पेश करते हुए महफिल में चार चांद लगा दिए। कार्यक्रम देर रात तक चला और श्रोताओं ने शेर-ओ-गजल, हास्य-व्यंग्य और गीतों का भरपूर आनंद लिया।
जौहर कानपुरी ने छेड़ी सच्चाई की गूंज
प्रसिद्ध शायर जौहर कानपुरी ने अपनी गजल “चमन में सबके लिए ऐतमाद थोड़ी है…” से पंडाल में गर्मजोशी भर दी। उनके व्यंग्यात्मक अंदाज में प्रस्तुत “वो झूठ बोल रहा है तो बोलने दो उसे, दुकानदार है कोई इमाम थोड़ी है” को खूब सराहा गया।
हाशिम फिरोजाबादी के शेरों ने भरी जोश की लहर
मशहूर शायर हाशिम फिरोजाबादी ने अपनी चर्चित गजल “जिनके हाथों से तिरंगा न संभाला जाए, ऐसे नेताओं को संसद से निकाला जाए” के जरिए श्रोताओं में उत्साह पैदा किया। उन्होंने पुराने और नए शेरों के साथ एक घंटे तक मंच पर माहौल गरमाया।
स्थानीय और अन्य शायरों का योगदान
हफीज कमाल ने अपनी गजल “बैचेनियां गजल में कुछ मुस्तरिफ सी आहें” पेश की, जिसे गहरी शायरी के शौकीनों ने खूब सराहा।
मनिका दुबे ने अपनी सुरीली आवाज में गीत “बिना सोचे ये कसमें तोड़ देना…” सुनाकर तालियां बटोरीं।
सबा बलरामपुरी ने मोहब्बत और इज्जत पर आधारित शेर “नफरत भरी बला है, मोहब्बत किया करो” पेश कर समां बांधा।
हास्य-व्यंग्य शायर सज्जाद झंझट और जहाज देवबंदी ने अपने अंदाज में महफिल को गुदगुदाया।
निजामत और समापन
निजामत कर रहे अबरार कासिफ की गजल “मेरे रब की मुझ पर इनायत हुई” ने श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। अंत में नईम अख्तर तराना के शेर “अच्छा ये खेल तुमने किया खेल खेल में…” के साथ मुशायरा संपन्न हुआ।
अध्यक्षता और सम्मानित अतिथि
मुशायरे की अध्यक्षता नबी अहमद खां उर्फ नब्बन एडवोकेट ने की। विशेष अतिथि के रूप में पालिकाध्यक्ष प्रतिनिधि रामपाल कुशवाहा, रमजान सौदागर, नसीम दुर्रानी, और अन्य गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति रही।
संयोजक का आभार
कार्यक्रम के संयोजक मुबारक हुसैन ने सभी मेहमानों और श्रोताओं का आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम को सफल बनाने में सभी की भूमिका की सराहना की।