करोड़ों की खनिज लूट: नीतू शिवहरे के नाम पर लिया पट्टा, तय सीमा से कई गुना ज्यादा पत्थर खनन, अफसर मौन

रिपोर्ट : शान मुहम्मद (शानू)
महोबा। जिले के डहर्रा गांव में गाटा संख्या 601 में स्टोन बोल्डर के लिए आवंटित खनन पट्टे की आड़ में बड़े पैमाने पर अवैध खनन कर करोड़ों रुपए का पत्थर चोरी करने का मामला इन दिनों सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। वायरल पोस्ट के अनुसार यह खनन पट्टा महज 9100 वर्ग मीटर क्षेत्र के लिए नीतू शिवहरे पत्नी दीपक शिवहरे को कुछ महीने पहले ही पुनः आवंटित किया गया था, लेकिन सेटेलाइट इमेज और जीपीएस माप के जरिए सामने आया कि करीब 21 से 22 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र और 30 मीटर गहराई तक अवैध खुदाई की गई है। इससे लगभग 3,85,080 घन मीटर पत्थर निकाले जाने का अनुमान है, जिससे सरकार को करीब 36.96 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

माफिया और सत्ता की सांठगांठ का खुला खेल
डहर्रा गांव के गाटा संख्या 601 और 602/2 के आस-पास की जमीनें कई प्रभावशाली लोगों ने खरीदी हैं। इनमें शामिल हैं:
राजेंद्र शिवहरे – क्रेशर व्यवसायी और खुद को समाजसेवी बताते हैं।
दिनेश गुप्ता – पत्थर व्यापारी।
स्व. विनोद शुक्ला – जिनके नाम पर गाटा संख्या 594 दर्ज है।
विष्णु शिवहरे और केशव बाबू शिवहरे – जिनके नाम गाटा संख्या 600 व 603 दर्ज हैं।
सूत्रों के अनुसार, इन जमीनों को पत्थर निकालने के उद्देश्य से ही खरीदा गया था। गांव के ही एक निवासी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ये ज़मीनें पहले किसानों की थीं, लेकिन पत्थर के लालच में इन्हें औने-पौने दामों पर खरीद लिया गया। जानकारी ये भी है कि गैंगस्टर एक्ट में जेल जा चुके एक व्यक्ति ने हाल ही में ज़मानत पर बाहर आकर भाजपा जॉइन की है।

राजस्व विभाग व प्रशासन की चुप्पी
इतने बड़े पैमाने पर अवैध खनन के बावजूद खनन विभाग और राजस्व विभाग की ओर से अब तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई है। इससे साफ होता है कि पूरा खेल मिलीभगत से चल रहा है। सेटेलाइट इमेज और राजस्व नक्शों के तुलनात्मक अध्ययन में यह बात तकनीकी रूप से भी प्रमाणित हो चुकी है।
अब सवाल यह है:
क्या इतनी बड़ी अवैध खनन की कार्रवाई पर प्रशासन आंख मूंदे रहेगा?
क्या सत्ता से जुड़े नामों के चलते कार्रवाई रुकी हुई है?
क्या योगी सरकार की “जीरो टॉलरेंस” नीति सिर्फ प्रचार तक सीमित है?
स्त्रोत : फेसबुक