अवैध परिवहन एवं खनन का सबसे बड़ा अड्डा बनता जा रहा महोबा, खनन मशीनों के शोर से परेशान है ग्रामवासी
- बराना निजी भूमि के पट्टे को सफाई के नाम पर मसीनों से बिरान करने में जुटे महारथी
- लोग रात्रि चौपाल में व्यस्त, माफिया अवैध खनन करने में मस्त
- तेजतर्रार डीएम और एसपी की साख को बट्टा लगा रहे माफिया और विभागीय जिम्मेदार
- जनपद के नये खान अधिकारी को शायद नहीं है नदियों की लुटती अस्मत की चिंता इसलिए राजधानी में डाले है डेरा
- खनिज इंस्पेक्टर ईश्वर चन्द्र उठाते है केवल चहेतों के फोन
- रात के अंधेरे में शुरू होता है माफिया और जिम्मेदार विभागों के गठबंधन से काले कारनामे का खेल
- सत्ताधारी नेताओं की संलिप्तता बनीं जिले में चर्चा का विषय
- अवैध खनन कर रहे माफिया रोजाना करोडों की सम्पदा पर डाल रहे डाका, सत्ता भले ही भाजपा की है लेकिन द:बदलू दिख रहे सबसे आगे है
- जिले में बालू के अवैध खनन का कारोबार तो बहुत पुराना है। लेकिन वर्तमान समय में अवैध बालू खनन का धंधा पूर्ण यौवनावस्था पर चल रहा है। माफियाओं के इशारे पर प्रशासनिक व पुलिस विभाग के अधिकारियों ने अवैध खनन की ओर से आंखें बन्द रखी। नतीजा यह हुआ कि बिना रायल्टी दिये ही खनन माफिया जिले की सैकड़ों बीघा खेती वाली जमीनों को खोखला कर बंजर व तालाब बना रहे है
विजय प्रताप सिंह
महोबा। जिले में बालू खनन का धंधा अपनी यौवनावस्था पर है इसलिये माफिया इसे जमकर लूट रहे है। बालू का कारोबार करने वाले माफिया एनजीटी के निर्देशों को ठेंगा दिखा अवैध खनन करा रहे हैं। इसी अवैध परिवहन खनन से जिम्मेदार विभागों में शिकायती पत्रों का अंबार लगा हुआ है। लेकिन फिर भी न जाने क्यों जिम्मेदार विभाग के लोग चुप्पी साधे बैठे हैं और फोन उठाने से कतराते है।
और इस अवैध खनन में शामिल माफियाओं के आगे निर्बल और बौना दिखाई पड़ रहे हैं। यहां रात भर चलने वाले खनन से परेशान गांववासी इस इंतजार में हैं कि प्रशासन कब इन माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करेगा। जनपद में तेजतर्रार डीएम और एसपी के कार्यशैली से कई माफियाओं के गुर्गो पर कार्यवाही हुई जिसकी चर्चा जिले भर में आम है लेकिन विभागीय अधिकारियों के चलते अभी भी मुख्य भूमिका निभाने वाले काले गोरखधंधों के शातिर बादशाह अभी भी गिरफ्त से दूर कुबेर का खजाना लूटकर अपनी तिजोरियां भर रहे है।
सूत्रों से मिली पक्की जानकारी के अनुसार बताते चलें कि जनपद के पनवाड़ी क्षेत्र में पहाड़पुरा, छतेसर, बिजरारी, कौनिया, नगाराघाट, इटौरा, और मुख्यतः बराना आदि एवं श्रीनगर क्षेत्र के सिजिरिया/डगरिया और महोबकंठ आदि क्षेत्रों में अवैध खनन सत्ता के संरक्षण में माफिया एनजीटी के नियमों को ठेंगा दिखा रात दिन खनन कर रहे है। बताते चलें कि थानाध्यक्षों के कार्यखाश्त और जिम्मेदार विभागों के अधिकारी भी माफियाओं से मिल ये सब करा रहे है और छुटपुट कार्यवाही कर कागजों में दिखा रहे है कि हम कार्य कर रहे है। जबकि इन्ही की मिलीभगत से संरक्षण प्राप्त बैखौफ माफियाओं के इस अवैध परिवहन खनन से भरे अनियंत्रित तेज गति से चल रहे ओवरलोड ट्रक राहगीरों को कुचलकर मौत के घाट उतार रहे हैं जिससे दिनप्रतिदिन मौतों का सिलसिला बढ़ता जा रहा है क्योंकि इन माफियाओं की नजर में रुपयों की कीमत इंसानों से कहीं ज्यादा है। बड़ा सवाल यह है कि इस कार्य में लगे मजदूरों की जान को भी खतरा है जो अपनी जान को जोखिम में डालकर अत्यधिक अनियंत्रित और तेज गति की रफ्तार से वाहनों को दौड़ाते है और इस काम में लगे सैकड़ों मजदूर खदान से बालू निकालते हैं। बड़ा सवाल यह भी है कि अगर इस बीच मजदूरों को जान-माल की क्षति होती है, तो कौन होगा इनकी मौत का जिम्मेदार क्योकि अवैध खनन के कारोबार में माफियाओं का बोलबाला है जिनसे टकराने में शासन और प्रशासन दोनों ही कतराता है। बीते कुछ ही दिन पहले वन विभाग के अधिकारियों पर खनन माफियाओं ने ट्रेक्टर से सरकारी जीप को कुचल फायर कर जानमाल की धमकी भी दी थी और एक कर्मचारी को लहूलुहान भी किया था। इतना करने के बाद से खनन माफियाओं के हौसले और बुलन्द हो चले है जिस कारण ही जनपद में अवैध खनन का कारोबार और अत्यधिक तेजी पकड़ रहा है।
इस काम में शामिल माफियाओं में भी झड़प होना आम बात है। आये दिनों लोडिंग को लेकर खदानों में गोलियों की तड़तड़ाहट भी साफ सुनाई देती है। बीते दिनों भी कई बार हो चुकी झड़प और एक बार फिर माफियाओं के बीच आपसी तनाव बढ़ चुका है। तनाव के चलते कभी भी बड़ी घटना होने की संभावना है और शायद प्रशासन भी इसी इंतजार में हैं। तभी तो विभागीय जिम्मेदारों से लेकर उच्चाधिकारियों तक सभी मूकदर्शक बने बैठे हैं। यहां तक कि जिम्मेदार अधिकारी भी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालने में लगे हुए हैं।
खनन माफियाओं का आतंक आंकड़ों में और ज्यादा नजर आता है। खेतों से ट्रक न गुजरने देने पर माफिया लोगों को मौत के घाट उतार चुके हैं। ज्यादा से ज्यादा ट्रकों/ट्रेक्टरों की लोडिंग कर निकासी के चक्कर में चालक अनियंत्रित तेजगति से वाहनों को दौड़ाते जिससे अब तक ट्रक/डम्फर/ट्रेक्टरों से सैकडों लोगों को कुचला जा चुका है। फिलहाल हाईकोर्ट में अवैध खनन से जुड़ी दर्जनों याचिकाएं दायर हैं जिन पर सुनवाई जारी है और अफसरों को रोज कोर्ट में हाजिर होना पड़ता है। लेकिन सरकारी खामोशी अब तक जारी है। बचा है तो सिर्फ खनन मशीनों का शोर।