महोबा। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली एवं उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशानुसार जनपद न्यायाधीश महोबा के आदेशानुसार दिनांक 12 जुलाई से 31 जुलाई 2023 तक महिलाआंे के अधिकारों एवं उनसे सम्बन्धित कानून विषयक विधिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जाने है। जिसके अनुपालन में राकेश कुमार गौतम, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, महोबा के निर्देशन में आज प्रातः 11 बजे तहसील सभागार चरखारी में विधिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सिविल जज जू0डि0 अध्यक्ष, तहसील विधिक सेवा समिति, चरखारी रजनीश कुमार ने की।
उक्त कार्यक्रम में आंगनवाडी कार्यकत्री, आशा बहुएं, स्वंय सहायता समूह, क्षेत्र की महिलाएं, महिला पुलिस, अध्यापिका एवं छात्राओं ने प्रतिभाग किया। उपस्थित महिलाआंे को महिला अधिकारों एवं महिला कर्तव्यों के बारे में विधिक रूप जागरूक किया गया एवं सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओं के बारे में बताया गया। साथ ही साथ उक्त कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में अवगत कराया गया।
कार्यक्रम में उपस्थित रिसोर्स पर्सन विश्वनाथ त्रिपाठी एवं अधिवक्ता श्रीमती कल्पना सोनी द्वारा पारिवारिक विधिक-विवाह, विवाह-विच्छेद, भरण-पोषण, सम्पत्ति के संबंध में महिलाओं के अधिकार, घरेलू हिंसा, दहेज-मृत्यु, ऐसिड अटैक, अपहरण, रेप, लैगिंक हिंसा, पाक्सों एक्ट संबंधी जानकारी, कार्यस्थल पर महिलाओं के उत्पीडन, मातृत्व अवकाश, महिलाओं के स्वास्थ्य हाईजीन, पीसी0पी0एन0डी0टी0 एक्ट, गर्भ धारण के समय लिंग परीक्षण संबंधी विधिक जानकारी प्रदान की गयी।
उक्त के अनुक्रम में न्यायिक अधिकारी रजनीश कुमार एवं तहसीलदार चरखारी कृष्णराज द्वारा 1-समान पारिश्रमिक का अधिकार-समान पारिश्रमिक अधिनियम के अनुसार, अगर बात वेतन या मजदूरी की हो तो लिंग के आधार पर किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया जा सकता है। 2- कार्यस्थल पर छेड़छाड़, यौन उत्पीड़न से संरक्षण का अधिकार-काम पर हुए यौन उत्पीड़न अधिनियम के अनुसार आपको यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का पूरा अधिकार है। 3-घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार-यह अधिनियम मुख्य रूप से पति, पुरूष लिव इन पार्टनर या रिश्तेदारों द्वारा एक पत्नी, एक महिला लिव इन पार्टनर या फिर घर में रह रही किसी भी महिला जैसे मां, बहन पर की गई घरेलू हिंसा से सुरक्षा करने के लिए बनाया गया है, आप या आपकी ओर से कोई भी शिकायत दर्ज करा सकता है। 4-मातृत्व संबंधी लाभ के लिए अधिकार-मातृत्व लाभ कामकाजी महिलाओं के लिए सिर्फ सुविधा नही बल्कि ये उनका अधिकार है, मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत एक नई माँ के प्रसव के बाद 12 सप्ताह (तीन महीने) तक महिला के वेतन में कोई कटौती नहीं की जाती और वो फिर से काम शुरू कर सकती है। 5-कन्या भू्रण हत्या के खिलाफ अधिकार-भारत के हर नागरिक का ये कर्तव्य है कि वो एक महिला को उसके मूल अधिकार जीने के अधिकार का अनुभव करने दें, गर्भाधान और प्रसव के पूर्व पहचान करने की तकनीकी लिंग चयन पर रोक) अधिनियम कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार देता है। 6- मुफ्त कानूनी सहायता का अधिकार-बलात्कार की शिकार हुई किसी भी महिला को मुफ्त कानूनी मदद पाने का पूरा अधिकार है, स्टेशन हाऊस आफिसर के लिए ये जरूरी है कि वो विधिक सेवा प्राधिकरण को वकील की व्यवस्था करने के लिए सूचित करे। 7-गरिमा एवं शालीनता से जीने का अधिकार-किसी मामले में अगर आरोपी एक महिला है तो उस पर की जाने वाली कोई भी चिकित्सा जाँच प्रक्रिया किसी महिला द्वारा या किसी दूसरी महिला की उपस्थिति में ही की जानी चाहिए। 8-संपत्ति का अधिकार-हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत नए नियमों के आधार पर पुश्तैनी सम्पत्ति पर महिला एवं पुरूष दोनो का बराबर हक है आदि के बारे में जानकारी प्रदान की गयी साथ ही कार्यक्रम में उपस्थित महिलाओं के प्रश्नों के समाधान भी किया गया।
कार्यक्रम में लगभग 70 महिलायंे एवं अन्य आमजन उपस्थित रहे। उपस्थित महिलाआंे को महिला विधिक जानकारी संबंधित पम्पलेट, बुकलेट एवं स्वल्पाहार आदि वितरित किया गया। कार्यक्रम का संचालन रिसोर्स पर्सन, विश्वनाथ त्रिपाठी द्वारा किया गया। कार्यक्रम के समापन उपरान्त उपस्थित महिलाआंे एवं जनसामान्य द्वारा आयोजित कार्यक्रम की अत्यन्त सराहना की गयी।