- किसानों और जनता की समस्या निस्तारण को नहीं बल्कि प्रभारी मंत्री खनिज विभाग से अटैचियां लेने आते है- विमल शर्मा
महोबा। प्रदेश सरकार के मंत्री किसानो, आमजनता की समस्याओ के निवारण बावत नही खनिज विभाग से मिलने वाली नोटो की अटैचिया लेने आते है। उक्त बात बुंदेलखण्ड किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विमल शर्मा ने जिला कलेक्टेªट स्थित कृषको के धरना प्रदर्शन को सम्बोधित करते हुए कहा है।
बुधवार के रोज प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना तथा सरकारी क्रय केन्द्रो द्वारा गत माह कृषको से खरीदा गया चना तथा लाही का भुगतान पाने के लिए कृषको द्वारा बुंदेलखण्ड किसान यूनियन के बैनर तले धरना प्रदर्शन कर जिलाधिकारी को संयुक्त ज्ञापन सौपा है। कृषको द्वारा जिलाधिकारी को सौपे गये संयुक्त ज्ञापन मे कहा है कि जिले के किसानो ने सरकारी क्रय केन्द्रो मे पहुॅचकर चना तथा लाही की फसल बेची थी जिसका भुगतान कृषको को क्रय केन्द्रांे के प्रभारियो द्वारा आज तक नही किया गया है। बुंदेलखण्ड किसान यूनियन के बैनर तले जिले के कृषको ने कलेक्टेªट पहुॅचकर जोरदार धरना प्रदर्शन किया तत्पश्चात प्रधानमंत्री फसल बीमा तथा चना, लाही किसानो से खरीदी गयी की धनराशि दिलाने बावत प्रार्थना पत्र सौपा है। प्रदर्शनकारी कृषको ने जिले के प्रशासनिक अधिकारियो तथा प्रदेश सरकार के विरूद्ध जमकर नारेबाजी की। धरना प्रदर्शन के दौरान बुंदेलखण्ड किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विमल शर्मा ने कहा कि केन्द्र तथा प्रदेश की भाजपा सरकार किसान हितैषी होने का अलाप तो अलापती है परंतु किसानो की समस्याओ के निराकरण की दिशा मे कोई कदम नही उठा रही है। उन्होने कहा कि प्रदेश सरकार के जिला प्रभारी मंत्री महज इसलिए बुंदेलखण्ड के दौरे पर जब- जब आते जाते है तो किसानो तथा जनता की समस्याओ का निराकरण करने के लिए नही बुंदेलखण्ड मे हो रहे बेतरतीब खनन के चलते खनिज विभाग से अटैचिंया लेने आते है।
किसान नेता अखिलेश रावत तथा किरन पाठक ने जिले के प्रभारी मंत्री पर धरना प्रदर्शन के दौरान गम्भीर आरोप लगाते हुए उन्होने कहा कि किसानो ने सरकारी क्रय केन्द्रो मे रवि की फसल को इसलिए बेंचा था कि उन्हे तत्काल बेंची गयी फसल का पैसा मिलेगा परंतु 3-4 माह का लम्बा समय बीत जाने के बाद भी क्रय केन्द्रो के प्रभारियो द्वारा कृषको का भुगतान नही किया जा रहा है। सैकड़ो कृषको की दैवीय आपदा मे बर्बाद हुई फसलो का बीमा कम्पनी द्वारा भुगतान न किया जाना क्या यही केन्द्र तथा प्रदेश सरकार की किसान हितैषी नीति है। उन्होने कहा कि मजबूरन किसानो को अपने हक और हुकूक के लिए धरना प्रदर्शन करना पड़ रहा है।