रिपोर्ट :- शान मुहम्मद (शानू)
पनवाड़ी/महोबा। हजरत मुहम्मद साहब के नवाशे हसन, हुसैन की याद में ताजियों में शौर्य और सहादत का जज्बा देखने को मिला। जुलूस के साथ चल रहे युवाओं के जोशीले नारों “या हसन हम ना थे” और अन्य इंकलाबी नारों की आवाजों से सदाएं गूंजती रहीं, तो वहीं सुरक्षा व्यवस्था को लेकर थाना प्रभारी शशि कुमार पांडे के नेतृत्व में ताजियों के आस पास और मैन बाजार में भारी पुलिस बल तैनात रहा।
मुहर्रम के मौके पर पनवाड़ी में विभिन्न ताजियों के साथ शामिल ढोल दलों के बीच रोचक मुकाबले की प्रथा है, जिसमें पठान पुरा, जुलहैटी, कसाई मंडी और मुल्लनपुरा की टीमों के बीच ढोल धुनों के शानदार मुकाबले देखे गए। जिसमे विजेता के साथ शामिल सभी टीमों के बीच इनाम बांटे गए, तथा ऑल इण्डिया बज्मे गुलज़ार ए मिल्लत कमेटी ने स्टॉल लगाकर राहगीरों को ठंडा पानी और शरबत पिलाया।अमन खान ने कहा कि इस्लाम जिंदा होता है हर एक कर्बला के बाद। कहा कि इस्लामी नए साल का मोहर्रम पहला महीना है, मोहर्रम से ही नए साल का आगाज़ होता है और मोहर्रम की दस तारीख़ को ही कर्बला की जंग हुई थी। हज़रत इमाम हुसैन से यजीद की हक और बातिल के दरमियान हजरत इमाम हुसैन ने अपना सर दे दिया पर यजीद से बैत नहीं की और शहीद हो गए।
इसी क्रम में ऑल इण्डिया बज्मे गुलज़ार ए मिल्लत से हाफिज सोहिल इस्माईली, अमन खान, शमीम राईन, फरहान इस्माईली, इंजमाम इस्माईली, आमिर अली, समीर इस्माईली, शानू मंसूरी, शकील राईन, फ़ैजान इस्माईली आदि सहित कमेटी के सदस्य मौजूद रहे।