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पत्रकारों पर हो रहे हमलों और झूठे मुकदमों के विरोध में आवाज़ें बुलंद, राज्यपाल और मुख्यमंत्री से की सख्त कार्रवाई की मांग

रिपोर्ट : शान मुहम्मद

उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में हाल ही में फतेहपुर जिले में पत्रकार की हत्या और हमीरपुर जिले के सरीला में नगर पंचायत अध्यक्ष द्वारा दो पत्रकारों के साथ हुई हिंसा की घटनाओं के बाद राज्य में पत्रकारों में आक्रोश व्याप्त है। इन घटनाओं के विरोध में सैकड़ों पत्रकार विभिन्न संगठनों के बैनर तले इकट्ठा हुए और जिलाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल और मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।

फतेहपुर में पत्रकार की हत्या और सरीला में हुई बर्बरता की घटना

फतेहपुर जिले में एक पत्रकार की निर्मम हत्या की खबर ने राज्य में पत्रकार सुरक्षा की स्थिति पर सवाल खड़ा कर दिया है। इस घटना के कुछ ही दिनों बाद हमीरपुर जिले के सरीला में नगर पंचायत अध्यक्ष और उसके गुर्गों द्वारा दो क्षेत्रीय पत्रकारों के साथ हिंसक व्यवहार का मामला सामने आया। इन पत्रकारों को न सिर्फ बंधक बनाया गया बल्कि उन्हें बेरहमी से पीटा गया और अपमानजनक कृत्य का सामना करना पड़ा।

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इस पूरे घटनाक्रम में नगर पंचायत अध्यक्ष की स्थानीय पुलिस से मिलीभगत का भी आरोप है। कथित तौर पर इन पत्रकारों के खिलाफ फर्जी मुकदमे भी दर्ज कराए गए हैं ताकि उन्हें चुप कराया जा सके। इस बर्बरता का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पत्रकार संगठनों और मीडिया कर्मियों में भारी रोष व्याप्त हो गया।

सैकड़ों पत्रकारों का प्रदर्शन और ज्ञापन सौंपा

पत्रकारों पर हो रहे हमलों और फर्जी मुकदमों के खिलाफ आक्रोशित पत्रकार महोबा में विभिन्न पत्रकार संगठनों के बैनर तले इकट्ठा हुए। इनमें अखिल भारतीय पत्रकार प्रेस क्लब, उत्तर प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार यूनियन पंजीकृत, उपजा और अन्य प्रमुख संगठनों के सदस्य शामिल थे। प्रदर्शन के दौरान उन्होंने जिलाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल और मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में पत्रकारों ने मांग की कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और पत्रकारों पर लगाए गए झूठे मुकदमे वापस लिए जाएं।

प्रदर्शन में प्रमुख पत्रकार जैसे संजय मिश्रा, वहीद अहमद, महेंद्र द्विवेदी, मनोज ओझा, विष्णु गुप्ता, जयप्रकाश द्विवेदी, अफसार अहमद, रविन्द्र मिश्रा, कृपाशंकर साहू (छोटू साहू), शांतनु सोनी, उमाकांत द्विवेदी, जावेद वागवान सहित सैकड़ों पत्रकार शामिल रहे। सभी ने एक सुर में इस तरह की घटनाओं के खिलाफ राज्य सरकार से कठोर कदम उठाने की मांग की।

पत्रकार सुरक्षा पर सवाल और सुधारों की आवश्यकता

राज्य में पत्रकारों की सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा बनता जा रहा है। हालिया घटनाएं यह संकेत देती हैं कि पत्रकारिता के क्षेत्र में सुरक्षा के मानकों की कमी है, जिससे पत्रकार अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते समय खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। पत्रकारों ने राज्य सरकार से अपील की कि वे ऐसी घटनाओं को गंभीरता से लें और पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।

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उत्तर प्रदेश में पत्रकारों की स्थिति को देखते हुए यह मांग उठ रही है कि एक सशक्त पत्रकार सुरक्षा कानून लागू किया जाए ताकि पत्रकार स्वतंत्र रूप से बिना डर के काम कर सकें। इसके अलावा, झूठे मुकदमों में पत्रकारों को फंसाने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए सख्त नियम बनाए जाने की भी आवश्यकता है।

पत्रकार संगठनों की मांग और सरकार की जिम्मेदारी

ज्ञापन में पत्रकारों ने स्पष्ट किया कि पत्रकारों के खिलाफ की जा रही हिंसक घटनाएं और उनके ऊपर दर्ज झूठे मुकदमे केवल पत्रकारिता के स्वतंत्रता पर प्रहार हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सख्त कानून बनाए जाएं। इसके साथ ही, दोषी नगर पंचायत अध्यक्ष और उनके गुर्गों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में किसी भी पत्रकार के साथ इस प्रकार की बर्बरता न हो।

इस विरोध प्रदर्शन ने पत्रकारों की सुरक्षा के मुद्दे को राज्य स्तर पर एक बार फिर चर्चा में ला दिया है। राज्य सरकार से उम्मीद की जा रही है कि वह पत्रकारों की आवाज सुनेगी और उनकी मांगों पर आवश्यक कार्रवाई करेगी ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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