रिपोर्ट – संदीप कुमार
चरखारी। गाजे बाजे के साथ देवराज इंद्र की सवारी गोवर्धन मंदिर से निकलकर गोवर्धन मेला प्रांगण पहुंची।जहां देवराज इंद्र ने गोवर्धन धारी श्री कृष्ण से अपने अपराधों के लिए क्षमा मांगी और पुनः ऐसी गलती न करने की शपथ ली। कथा है कि, जब वृंदावन वासियों ने भगवान कृष्ण के कहने पर इंद्र की पूजा न कर गोवर्धन पर्वत की पूजा की तो, इससे देवराज इंद्र कुपित हो गए और उन्होंने वृंदावन क्षेत्र में मूसलाधार वर्षा की वृंदावन वासियों के अनुरोध पर भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली पर धारण कर लिया और सभी वृंदावन वासियों को गोवर्धन पर्वत के नीचे शरण दी। जब इंद्र को अपनी गलती का एहसास हुआ तो, वह भगवान कृष्ण के पास त्राहिमाम करते हुए पहुंचे और क्षमा याचना की ।इसी कथा को जीवंत करती है चरखारी की देवराज इंद्र की सवारी जो आज बड़े धूमधाम के साथ गोवर्धन मंदिर से ड्योढ़ी दरवाजा, सदर बाजार ,बी पार्क और पचराहा होते हुए मेला प्रांगण पहुंची है। जहां देवराज इंद्र ने क्षमा मांगी आज गोवर्धन मंदिर से भगवान कृष्ण की कनिष्ठा उंगली से गोवर्धन पर्वत को उतार दिया जाएगा और राधिका जी उनके बामांग जाएंगे।तब देवराज इंद्र उनसे क्षमा मांग कर उनके साथ मेले में पूरे पूरे मेले भर विद्यमान रहेंगे।
शोभायात्रा के अगुआ रहे पंडित दीपक गुरुदेव और रविंद्र गुरुदेव जो इंद्र को लेकर मेला प्रांगण पहुंचे उनके साथ पालिका अध्यक्ष, लेखा लिपिक मौके पर मौजूद रहे।