अपने संबन्धियो से मिलने के लिए घर से निकल कर अन्य गांव में भटक गई थी बालिका
महोबा। चाइल्डलाइन महोबा में एक कॉल आया कि एक बालिका खरेला थाने के पास के गांव में प्राप्त हुयी है जो अपना नाम तथा पता बताने में असहज प्रतीत कर रही है। कॉलर की सूचना प्राप्त होते ही बच्चे को मुसीबत में देख चाइल्डलाइन टीम निकल पड़ी । कॉलर के बताये पते पर पहुंच बच्ची से मुलाकात की लगभग 10 वर्ष की बच्ची जो काफी डरी हुयी थी उसको पहले अपनेपन का एहसास दिलाया तत्पश्चात उसके घर की जानकारी ली। तो कभी वह खरेला के पास के ही गांव का नाम ले तो कभी महोबा के बाहर की बात कहे। समस्या विकट थी बच्ची के भविष्य का सवाल था जिसके लिए टीम ने बच्ची द्वारा बताये गये गांव के ग्राम प्रधान व आंगनवाड़ी कार्यकत्री, आशा से पूछा कि आपके गांव की कोई बालिका गुम हुयी है। जिस पर उन्होने बताया हां रात्रि से ही वह मिल नहीं रही है हम परेशान है। ग्राम प्रधान की सहायता से बच्ची के माता-पिता को ढूंढा गया और कागजी तथा कानूनी कार्यवाही पूरी करने के उपरान्त बच्ची को उसके परिजनो से मिलवाया। चाइल्डलाइन टीम के समय पर पहुंचने तथा बच्ची के माता-पिता को ढूंढने में टीम मेम्बर नीरज पाठक, अनूप द्विवेदी तथा स्वयंसेवी लीलावती ने अहम भूमिका निभाई।
जुलाई 2019 से मनोज कुमार के निर्देशन में संचालित चाइल्डलाइन महोबा ने अभी तक लगभग 321 ऐसे मामले जिसमें बच्चे मुसीबत में किसी भी परिस्थिति में पाये गये उनकी मदद की है। कोरोना महामारी के दौरान लगाये गये लॉकडाउन में भी टीम ने 106 परिवारो को भोजन तथा राशन की मदद की।