रिपोर्ट :- पंकज सिंह परिहार
– वैध की आड़ में रेत का बे!लगाम खनन जारी
पनवाड़ी/महोबा। कहने को तो यहां खेतों के ऊपरी परत की बालू हटाकर उन्हें खेती योग्य बनाया जा रहा है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। भारी भरकम अर्थ मूविंग मशीनों से समतल धरती में जमीन के नीचे दबी हजारों साल पुरानी बालू को निकाल कर पैसा तो बनाया जा रहा है लेकिन क्या यह काम जमीनी परिवेश में मौजूद सूक्ष्म जीवों व मानव के बीच भौतिक कारकों में संतुलन बिगाड़ने जैसा नहीं है। जैसे अनेकों प्रश्न खड़े हो रहे है लेकिन क्या इनके जवाब सरकारी मशीनरी या फिर सरकार में बैठे लोग देंगे,या फिर क्षणिक लाभ के लिए ऐसे ही धरती का सीना छलनी होता रहेगा।
वैसे तो महोबा जिला का पनवाड़ी विकास खंड अति पिछड़े इलाकों में शुमार है और दशकों से यहां के जंगली टीलों व खेतों के नीचे जमीन में दबी बालू को चोरी छिपे अवैध खनन करके बेचे जाने में बदनाम रहा है ,महोबकंठ तथा पनवाड़ी थाने में सैकड़ों अवैध परिवहन व खनन के रिकार्ड दर्ज है। लेकिन पिछले कुछ सालों से राज्य सरकारों ने यहां जमीन में दबी बालू निजी काश्तकारों को खेत सफाई के नाम पर खनन करनें के लिए पट्टे देना शुरू कर दिया बस फिर क्या इसी की आड़ में माफिया किसानों के नाम से वैध की आड़ में बेलगाम अवैध खनन का नंगा नाच कर रहे है।
कुलपहाड़ तहसील के ग्राम स्योडी में इस समय कई खदाने चल रही है जिनकी पड़ताल से पता चलता है की जिस खेत मालिक के नाम से पट्टा हुआ है उसका खनन से कोई सीधा संबंध नहीं है क्योंकि जिला मुख्यालय के चक्कर लगाकर भारी भरकम राशि खर्च करके पट्टा हासिल करना इतने छोटे किसान के बस की बात ही नहीं है। बांकी सफाई में कोई क्या कहता है इससे सच्चाई को झुठलाया नहीं जा सकता है।
इसी कड़ी में मौजा स्योडी के खेत खदान पट्टा धारक हलकुट्टा गाटा संख्या 236/22,रकवा – 0.700हेक्ट० की सच्चाई जानने की कोशिश सबसे पहले बोर्ड में लिखे मोबाइल नंबर पर हलकुट्टा से बात करने का प्रयास किया गया तो पहला मो०नंबर- 9140095368 में हलकुट्टा से बात नहीं हुई यह ट्रूकॉलर में किसी नरपत सिंह का प्रदर्शित हुआ इसके बाद दूसरे मो०न०9891607495 में भी हलकुट्टा से बात नहीं हुई यह नंबर भी किसी विशाल सिंह के नाम प्रदर्शित हो रहा था फिर खदान में मौके पर पता किया की संचालन किसके द्वारा किया जा रहा है तो एक मो०न०9810729030 मिला जो की पिंटू कुमार है और हरियाणा गुणगांव से यहां खदान चलाने आए है अब इन मोबाइल नंबर धारकों का हलकुट्टा से क्या संबंध है यह जांच का विषय इसलिए है की खदान में बड़े बड़े गढ्ढे बना रही ये पोकलैंड मशीनें पट्टा धारक की है या इन लोगों की जिन्हे संचालन कर्ता बताया जा रहा है।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इन मशीनों से दिन रात खनन करने की परमीशन इन्हे मिली हुई है यदि नहीं तो किसके संरक्षण में यह खेल खेला जा रहा है। जिम्मेदार अधिकारियों के पास इसका रटा रटाया जवाब होता है कि बड़ी मशीनों से खनन की जानकारी उन्हें नहीं है यदि पता चला तो कार्यवाही की जाएगी। ऐसे बयान अक्सर खबरों में पढ़े जाते है। लेकिन तस्वीरें चीख कर कह रहीं है कि कहीं न कहीं कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही है । प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, एन जी टी जैसे प्राधिकरण क्या सिर्फ कागज की फाईलों को सजाने के लिए है। खैर प्रकृति अपना बदला सूद के साथ लेती है लेकिन फिर इसमें हजारों बेगुनाह भी तबाह होते है। पनवाड़ी में ऐसी कई खदानें चल रही है आगे श्रंखला में प्रयास है कि जन मानस को पता चल सके की कैसे राजस्व के नाम पर राजस्व चोरी कर पर्यावरण का नाश किया जा रहा है कैसे रातों रात एन आर ट्रक जिले की सीमा से पार करा दिए जाते है।
-जनहित में जारी